Akshay Kumar on Saturday, November 21, 2015 अपने होठों पर सजाना चाहता हूं
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूं
कोई आसू तेरे दामन पर गिराकर
बूंद को मोती बनाना चाहता हूं
थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूं
छा रहा हैं सारी बस्ती में अंधेरा
रोशनी को घर जलाना चाहता हूं
आखरी हिचकी तेरे ज़ानो पे आये
मौत भी मैं शायराना चाहता हूं...
Jeetendra Chauhan on Sunday, January 04, 2015 बून्द को मोती बनाने की मर्मस्पर्शी कल्पना...अनोखे बोल और जादुई आवाज़ का
संगम!!!
sadaf khan on Wednesday, July 25, 2012 koi aansun tere daman par gira kr... boond ko mooti banana chahta hun...
thaak gaya mein. abb tujhe me yaaad aana chahta hunn.:( miss you
sir. love all ur gazals... almost all
reena agrawal on Sunday, August 09, 2015 koi कोई आंसू तेरे दामन पे गिरा कर .. बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ
Harsh Bhasin on Wednesday, June 29, 2011 ghazalon ki intihya wah wah.. aakhri hichki
tere zaano pe aaye maut bhi mein shayarana chahta hoon
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