shweta17105 on Tuesday, October 18, 2011 my favourite gazal,thanks for uploading,,Nida fazil lyrics is wonderful & Jagjit singhji sang so nicely,,,missing Jagjit singhji.
Shivali Vaid on Sunday, December 08, 2013 Apni Marzi Se Kahan Apni Safar Ke Hum Hain...
Rukh Hawaaon Ka Jidhar Ka Hai Udhar Ke Hum Hain...
sameer515483 on Monday, October 10, 2011 R.I.P Jagjit Singh... Really a great loss for music lovers
Rahul Chaudhari on Friday, February 08, 2013 अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम
हैं पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम
हैं वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों तक किसको मालूम कहाँ के हैं किधर
के हम हैं चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब सोचते रहते हैं कि किस
राहगुज़र के हम हैं गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम हर क़लमकार
की बेनाम ख़बर के हम हैं
Nadeem Ahmed Jaffer on Saturday, June 04, 2011 A beautiful Ghazal, Lyrics by Nida Fazli Saab, Composition by Talat Aziz
and sung by Superlative Jagjit Singh Ji.
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