swapnesh samaiya on Tuesday, October 29, 2013 कासिद के आते आते खत एक और लिख रखूँ मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में कब
से हूँ क्या बताऊँ, जहान-ए-खराब में शब हाये हिज्र को भी रखूं गर हिसाब में
मुझ तक कब उनकी बज़्म में, आता था दौर-ए-जाम साकी ने कुछ मिला ना दिया हो शराब
में ता-फिर ना इंतज़ार में नींद आये उम्र भर आने का अहद कर गये, आये जो ख्वाब
में ग़ालिब छुटी शराब, पर अब भी कभी कभी पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब
में
Anupam Mukherjee on Monday, May 17, 2010 This is one of the best in the lot from the serial. Comparing to the other
ghazals in the album the words are less complex.
imtyaz Ahmad on Wednesday, February 04, 2015 He is our true legend his Tkhayyul is superb
saravjeet uppal on Friday, September 17, 2010 subhaan allah !!!!!!!!!!!!!!!
Sid Sharma on Thursday, June 04, 2015 the gift of lord to me.
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