Akshay Kumar on Wednesday, November 18, 2015 ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है
सन्नटा ही गूँज रहा हो ऐसा भी हो सकता है
(सदा = आवाज़)
मेरा माज़ी मुझ से बिछड़ कर क्या जाने किस हाल में है
मेरी तरह वो भी तन्हा हो ऐसा भी हो सकता है
(माज़ी = बीता हुआ समय)
सहरा सहरा कब तक मैं ढूँढूँ उल्फ़त का इक आलम
आलम आलम इक सहरा हो ऐसा भी हो सकता है
(सहरा = विस्तार, जंगल, रेगिस्तान), (आलम = दशा, हालत)
अह्ल-ए-तूफाँ सोच रहे हैं साहिल डूबा जाता है
ख़ुद उनका दिल डूब रहा हो ऐसा भी हो सकता है
(अह्ल-ए-तूफाँ = तूफ़ान वाले लोग), (साहिल = किनारा)
nazinazia88 on Wednesday, December 21, 2011 ek ajeeb fiza hai is ghazal ki... best voice best music and theeeeeee best person JAGJIT sir..i m going to miss u the rest of my life sir!
pakhee2008 on Tuesday, October 09, 2012 its been 1 yr ... u r not here... with us... we all miss u Mr. Jagjit Singh.
sujata sadasivan mukherjee on Friday, November 02, 2012 once again...a beautiful array of words...and the forever golden voice..
yallahabibi1000 on Friday, May 18, 2012 A very soulful and poignant ghazal.filled with pathos!!
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